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________________ ( १२७ ) प्रश्न १२६-संसारदशा में बराबर रहने वाला कौन सा भाव है ? उत्तर-औदयिक भाव है। प्रश्न १३०-प्राप्त होने पर कभी भी अभाव न होवे ऐसा कौनसा भाव है ? उत्तर-क्षायिक भाव है। प्रश्न १३१-ज्ञान का क्षायिक भाव कोन सी गति मे हो सकता उत्तर-मात्र मनुष्यगति मे हो सकता है दूसरी गतियो मे नही हो सकता है। प्रश्न १३२-श्रद्धा का क्षायिकभाव कौन सी गति में हो सकता उत्तर-चारो गतियो मे हो सकता है। प्रश्न १३३–चारित्र का क्षायिकभाव कौन सी गति में हो सकता है ? उत्तर-मात्र मनुष्य गति मे हो सकता है दूसरी गतियो मे नही हो सकता है। प्रश्न १३४-श्रद्धा का क्षायोपशमिक भाव कौन-कौनसी गति मे हो सकता है? उत्तर-चारो गतियो मे हो सकता है। प्रश्न १३५-जो चारित्र नाम पावे ऐसा चारित्र का क्षयोपशम कोन सी गति में हो सकता है ? उत्तर-मनुप्य और तिर्यंच मे ही हो सकता है। प्रश्न १३६-ज्ञान का क्षयोपशम भाव ना होवे तब क्या होवे ? उत्तर-ज्ञान का क्षायिक भाव अर्थात् केवलज्ञान होवे। प्रश्न १३७-दर्शन का क्षयोपशमिक ना होवे तब क्या होवे ? उत्तर-दर्शन का क्षायिक भाव अर्थात् केवलदर्शन होवे ।
SR No.010119
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages289
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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