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________________ छह द्रव्य जाने । इस अपेक्षा छह द्रव्योंके समूह को विश्व कहते हैं इसको जानने से केवली के लघुनंदन बन गये। प्रश्न (८४)--छह द्रव्यों के समूह को विश्व कहते हैं इसको __ जानने से दूसरा लाभ क्या रहा ? उत्तर-जैसे हमारी पाकिट में छह रुपये हैं, उन्हें कोई एक रुपया कहे तो वह झूठा है; उसी प्रकार हमने छह द्रव्य जाने, उन्हें कोई एक द्रव्य कहे तो वह झूठा है यह विश्व को जानने से दूसरा लाभ रहा । प्रश्न (८५)-विश्व में मात्र एक द्रव्य है ऐसा कौन मानता है ? उत्तर-वेदान्ती मानता है। प्रश्न (८६)--विश्व को जानने से तीसरा क्या लाभ रहा ? उत्तर-जैसे हमारी पाकिट में छह रुपये हैं उन्हें कोई पाँच रुपये कहे तो वह झूठा है; उसी प्रकार हमने छह द्रध्य जाने, उन्हें कोई पाँच द्रष्य कहे तो वह झूठा है । विश्व को जानने से यह तीसरा लाभ रहा। प्रश्न (८७)-विश्व में पांच द्रव्य है ऐसा कौन मानता है ? उत्तर-श्वेताम्बर मानता है प्रश्न (८८)-विश्व को जानने से चौथा लाभ क्या रहा? उत्तर-जैसे हमारी पाकिट में छह रुपये हैं इसके बदले कोई कम कहे या ज्यादा कहे तो वह सब झूठे हैं; उसी
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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