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________________ ( १५ ) प्रश्न (१२) बहिरात्मा किसे कहते हैं ? उत्तर -निजकारण परमात्मा में और नौ प्रकार के पक्षों में एकत्व का श्रद्धान, ज्ञान और आचरण हो उसे बहि रात्मा कहते हैं। प्रश्न (१३)-बहिरात्मा कब तक कहलाता है ? उत्तर- जब तक सम्यग्दर्शन की प्राप्ति ना हो तब तक निगोद से ___ लगाकर द्रव्यलिंगी मुनि तक सब बहिरात्मा कहलाते हैं। प्रश्न (१४)--अन्तरात्मा किसे कहते हैं ? उत्तर - निजकारण परमात्मा में प्रौर नौ प्रकार के पक्षों में भिन्नत्व की श्रद्धा, ज्ञान और आचरण हो उसे अन्तरात्मा कहते हैं। प्रश्न (१५)--अन्तरात्मा कहाँ से कहाँ तक कहलाते हैं ? उत्तर-चौथे गुणस्थान से १२ वें गुण स्थान तक सब अन्तरात्मा कहलाते हैं। प्रश्न (१६)- चौथे गुण स्थान से लेकर १२वें गुणस्थान तक सब अन्तरात्मा कहलाते हैं इन सबमें कुछ अन्तर है या समान हैं? उत्तर-अन्तरात्मा के तीन भेद हैं:-उत्तम, मध्यम और जघन्य। प्रश्न (१७)- उत्तम अन्तरात्मा किसे कहते है ? उत्तर-१४ प्रकार के अन्तरंग मोर १० प्रकार के बहिरंग
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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