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________________ ( १८२ ) प्रश्न (३३४)-मैंने पानी गरम किया, इस में उत्पाद व्यय ध्रौव्य लगायो और क्या लाभ रहा ? उत्तर- गरम का उत्पाद, ठन्डे का व्यय, आहार वर्गणा रूप पानी ध्रौव्य है। जीव और आग ने पानी गरम किया ऐसी बुद्धि उड़ गई। प्रश्न (३३५,-श्री कुन्द कुन्द भगवान ने समयसार शास्त्र बनाया, __ इसमें उत्पाद व्यय ध्रौव्य लगाग्रो और क्या लाभ रहा ? उत्तर - समयसार शास्त्र बना उत्पाद, पहली पर्याय का व्यय, आहारवर्गणा रूप पत्र ध्रौव्य है । श्री कुन्द कुन्द भगवान ने बनाया ऐसी बुद्धि उड़ गई। प्रश्न (३३६)-मैंने पुस्तक उठाई. इसमें उत्पाद व्यय ध्रौव्य लगाया। और क्या लाभ रहा ? उत्तर -पुस्तक उठने का उत्पाद, स्थिर रूप पर्याय का व्यय, आहारवर्गणा रूप कागज की क्रियाशक्ति गुण धोव्य है। जीव ने उठाई ऐसी बुद्धि उड़ गई। प्रश्न (३३७)-अधर्म द्रव्य ने मुझे ठहराया, इसमें उत्पाद व्यय ध्रौव्य लगायो, और लाभ बतायो ? उत्तर- मेरे ठहरने का उत्पाद, चलने की पर्याय का व्यय, जीव की क्रियावती शक्ति ध्रौव्य है। अधर्म द्रव्य और शरीर ने मुझे ठहराया ऐसी बुद्धि उड़ गई। प्रश्न (३३८)-बढई ने रथ बनाया, इसमें उत्पाद व्यय ध्रौव्य लगाओ, और लाभ बताओ? उत्तर-रथ बने का उत्पाद, पहली पर्याय का व्यय, आहारवर्गणा रूप लकड़ी ध्रौव्य है । बढई ने बनाया यह बुद्धि उड़
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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