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________________ ( १८० ) उत्तर - विस्तरा विछा उत्पाद, तह किये हुये का व्यय, आहार वर्गणा रूप विस्तरा ध्रौव्य हैं । जीब ने या अन्य किसी वर्गणा ने बिछाया यह बुद्धि उड़ गई । प्रश्न (३२५) - मुझे आंख से ज्ञान हुआ, इसमें उत्पाद व्यय धौम्य लगाओ और क्या लाभ रहा ? उत्तर - ज्ञान पर्याय का उत्पाद, पहली ज्ञान पर्याय का व्यय, आत्मा का ज्ञान गुण धौभ्य है, आँख से ज्ञान हुआ ऐसी बुद्धि उड़ गई । प्रश्न ( ३२६ ) - दर्शनमोहनीय के उदय से मिथ्यात्व होता है, इसमें उत्पाद व्यय ध्रौव्य लगाओ और क्या लाभ रहा ? उत्तर - मिथ्यात्व का उत्पाद, मिध्यात्व रूप पहली पर्याय का व्यय, आत्मा का श्रद्धा गुण ध्रौव्य है । दर्शन मोहनीय के उदय से हुम्रा यह बुद्धि उड़ गई । प्रश्न (३२७)-कर्म चक्कर कटाता है, उसमें उत्पाद व्यय धौव्य लगाओ, और क्या लाभ रहा ? उत्तर - चक्कर काटने का उत्पाद, पहली चक्कर काटने की पर्याय का व्यय, ग्रात्मा का चारित्र गुण कायम है । कर्म चक्कर कटाता है ऐसी बुद्धि उड़ गई । प्रश्न ( ३२८ ) - मैंने हाथ जोड़े, इसमें उत्पाद व्यय प्रीव्य लगानी और क्या लाभ रहा ? उत्तर - हाथ जोड़े का उत्पाद, पहली स्थिरता रुप पर्याय का व्यय आहारवर्गणा की क्रियावती शक्ति गुण प्रोव्य है । जीव ने हाथ जोड़े यह बुद्धि उड़ गई । प्रश्न ( ३२९ ) - घड़ी देखकर ज्ञान हुआ, इसमें उत्पाद व्यय
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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