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________________ (१४३) उत्तर-चार प्रकार का है। (१) देश व्यतिरेक, (२) क्षेत्र व्यतिरेक, (३) काल व्यति रेक, (४) भाव व्यतिरेक । प्रश्न (११४)--देश व्यतिरेक किसे कहते हैं ? उत्तर-गुण पर्याय के पिण्ड के भेद को, ‘देश व्यतिरेक' कहते हैं। प्रश्न (११५)--क्षेत्र व्यतिरेक किसे कहते हैं ? उत्तर-एक एक प्रदेश क्षेत्र का भिन्नपने के भेद को 'क्षेत्र __ व्यतिरेक' कहते हैं। प्रश्न (११६)--काल व्यतिरेक किसे कहते हैं ? उत्तर-पर्याय के भिन्नत्व के भेद को 'काल 'व्यतिरेक' कहते हैं प्रश्न (११७)--भाव व्यतिरेक किसे कहते हैं ? उत्तर-गुण के भिन्नत्व के भेद को, ‘भाव व्यतिरेक कहते हैं। प्रश्न (११८)-'क्रमवर्ती' किसे कहते हैं ? उत्तर एक, फिर दूसरी, फिर तीसरी. फिर चौथी, फिर पाँचवी इस प्रकार प्रवाह क्रम से जो वर्तन करे उसे क्रमवती कहते हैं। प्रश्न (११६)-पर्याय को 'उत्पाद-व्यय' क्यों कहते हैं ? उत्तर-पर्याय, सदा उत्पन्न होती है और विनष्ट होती है इसलिए पर्याय को उत्पाद-व्यय कहा है। कोई भी पर्याय गुण की भांति सदैव नहीं रहती है।
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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