SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १३६ ) छोड़कर सब जीवों में विभावव्यंजन पर्यायें होती है स्वभावव्यंजन पर्याय नहीं होती है। प्रश्न (५६ }--सादिअनन्त स्वभावव्यंजन पर्याय किसमें होती है ? उत्तर - सिद्ध भगवान में ही होती है औरो में नहीं होती है। प्रश्न (६०)-सादिसान्त स्वभावव्यंजन पर्याय किसमें होसकती है ? उत्तर-पुद्गल परमाणु में हो सकती है। प्रश्न (६१ --अनादिअनन्त स्वभावव्यजन पर्याय किसमें होती है ? उत्तर-धर्म, अधर्म, आकाश और काल द्रव्य में होती है । प्रश्न (६२)--स्वभावव्यंजन पर्याय में अन्तर हो और स्वभाव अर्थ पर्याय में समानता हो, क्या किसी द्रव्य में ऐसा होता है ? उत्तर-सिद्ध दशा में स्वभावव्यंजन पर्याय में अन्तर है और सब स्वभावअर्थ पर्यायों में समानता है। प्रश्न (६३)- सभी सिद्धों में स्वभावव्यंजन पर्याय में अन्तर क्यों है ? उत्तर-किसी आत्मा का आकार सात हाथ का, किसी का ५०० धनुष का होता है इसलिए सभी सिद्धों में स्वभाव व्यांजन पर्याय में अन्तर है। प्रश्न (६४)-स्वभावव्यंजन पर्याय में समानता हो और स्वभाव अर्थ पर्यायों में अन्तर हो, क्या ऐसा किसी द्रव्य में
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy