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________________ (१३४) उसे मालूम नहीं है तो कहा जाता है उसके पास खजाना नहीं है; उसी प्रकार मिध्यादृष्टि की अस्तित्वादि गुणों की शुद्ध पर्यायें होने पर भी उसे अपने आप का पता ना होने से स्वभावार्थ पर्यायें नही कही जाती हैं । प्रश्न ( ४६ ) - परमाणु में कौन कौन सी पर्यायें होती हैं ? - परमाणु स्वभाव उत्तर - में मात्र स्वभावव्यंजन पर्याय और पर्यायें ही होती है विभाव नही होती है । प्रश्न ( ५० ) - स्कंध में कौन कौन सी पर्यायें होती हैं ? उत्तर - विभावव्यंजन पर्याय और विभावअर्थ पर्यायें ही होती हैं। प्रश्न ( ५१ ) - जैसे आत्मा में चौथे गुणस्थान से १४ वे गुणस्थान तक स्वभावप्रर्थ पर्यायें और विभावप्रर्थ पर्यायें होती है; उसी प्रकार स्कंध में इस प्रकार होता है या नहीं ? उत्तर - नहीं होता है, स्कधों में चाहे, दो परमाणु का स्कंध हो या करोड़ों परमाणु का स्कंध हो उसमें दोनों विभाव पर्याय ही होती है स्वभाव पर्याय नहीं होती है । प्रश्न (५२) - द्रयलिंगी मुनि की कौन कौन सी पर्यायें होती हैं ? उत्तर- विभावव्यंजन पर्याय और विभावर्थ पर्यायें ही होती है । प्रश्न (५३)-- प्रत्येक द्रव्य में व्यंजन पर्याय कितनी होती हैं ? उत्तर - एक द्रव्थ में एक ही व्यंजन पर्याय होती है क्योंकि प्रत्येक द्रव्य में एक एक ही प्रदेशत्व गुण होता है और प्रदेशत्व गुण के परिणमन को व्यंजन पर्याय कहते हैं ।
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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