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________________ ( १२६ ) इसमें 'गुणों के कार्य को पर्याय कहते हैं, कब माना और कब नहीं माना? उत्तर- राग चारित्र गुण मे से आया, तो पर्याय को माना और घड़ा बनने के कारण राग आया, तो पर्याय को __ नहीं माना। प्रश्न (१६।-बाई ने रोटी बनाई, 'इसमें गुणों के कार्य को पर्याय कहते है' कब माना, और कब नही माना ? उत्तर-(१) रोटी आटे से बनी तो पर्याय को माना। (२) बाई ने रोटी बनाई तो पर्याय को नहीं माना। प्रश्न (१७)-रोटी बनी तो बाई को राग पाया इममें गुणों के कार्य को पर्याय कहते है; कब माना और कब नहीं माना ? उत्तर - (१' राग चारित्र गुण में से प्राया तो पर्याय को माना। (२) रोटी बनी तो बाई कोराग आया, तो पर्याय को नहीं माना। प्रश्न (१८}-श्री कुन्द कुन्द भगवान ने समयसार बनाया, इसमें ‘गुणों के कार्य को पर्याय कहते है' कब माना, और कब नहीं माना। उत्तर-(१) समयसार शास्त्र आहारवर्गणा से बना, तो पर्याय को माना । (२) श्री कुन्दकुन्द भगवान ने समयसार बनाया, तो पर्याय को नहीं माना।
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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