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________________ ( १२१ ) दूसरे से सम्बंध का प्रश्न ही नहीं है तब लोग एक द्रव्य से दूसरे द्रव्य का सम्बध क्यों मानते हैं ? उत्तर - चारों गतियों में घूमकर निगोद में जाना अच्छा लगता है इसलिए लोग एक द्रव्य से दूसरे द्रव्य का सम्बंध मानते हैं । प्रश्न (८७) - एक द्रव्य से दूसरे द्रव्य का कोई संबन्ध नहीं है क्या जिनेन्द्र भगवान ने कहीं कहा है ? उत्तर - समयसार गा० ८५ तथा ८६ में वह सर्वज्ञ के मत से बाहर है और द्विक्रियावादी कहा है । गुणों के जानने का फल प्रश्न ८८-छह द्रव्य और उनके क्या है । उत्तर - ( १ ) स्व पर का भेद विज्ञान इसका फल है । (२) कर्ता भोक्ता की बुद्धि का प्रभाव होकर धर्म की प्राप्ति इसका फल है । प्रश्न ( ८ ) - द्रव्य के सामान्य और विशेष गुणों पर से द्रव्य की परिभाषा बताओ ? उत्तर - सामान्य और विशेष गुणों के समूह को द्रव्य कहते हैं । प्रश्न ( ६० ) - मैं गुण स्वरूप हूँ, नौ पक्ष स्वरूप नहीं हूँ इसका फल क्या होगा ? उत्तर - मैं गुण स्वरुप हूँ ऐसा अनुभव ज्ञान श्राचरण क्रम से मोक्ष का कारण है और मौ पक्ष रुप मानने वाला क्रम से निगोद की प्राप्ति करता है । अनादि से अनन्त काल तक जिन जिनवर, और जिनवर वृषभों ने गुण का स्वरुप बताया है और बतायेंगे उन सबके चरणों में नमस्कार । ,
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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