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________________ ( ८२ ) प्रश्न ५४ - मेरे हाथ में लकवा हो गया है। इस वाक्य में से "हाथ मे लकवा हो गया" पर उपादान उपादेय समझाइये ? उत्तर - प्रश्न १८ से ४२ तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न ५५ - मैंने औजारो से सिमेन्ट द्वारा मकान बनाया। इस वाक्य मे से " मकान बनाया" पर उपादान - उपादेय समझाइये ? उत्तर - प्रश्न १८ से ४२ तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न ५६ – मैने हाथो से झाडू लगाई। लगाई" पर उपादान - उपादेय समझाइये ? उत्तर - प्रश्न १८ से ४२ तक के अनुसार उत्तर दो । इस वाक्य मे से “झाडू प्रश्न ५७ - मैंने मुँह द्वारा गाली दी । इस वाक्य में से "गाली दी" पर उपादान - उपादेय समझाइये ? उत्तर - प्रश्न १८ से ४२ तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न ५८ - मैंने मुँह के द्वारा मिठाई खाई। इस वाक्य में से "मिठाई खाई" पर उपादान- उपादेय समझाइये ? उत्तर -- प्रश्न १८ से ४२ तक के अनुसार उत्तर दो । "कुम्हार ने चाक, कोली, डंडा, हाथ आदि से घड़ा बनायाइस वाक्य मे से 'चाक, कोली, ठडा, हाथ आदि कार्य पर उपादान का २२ प्रश्नोत्तरों के द्वारा स्पष्टीकरण" प्रश्न ५६ – कुम्हार, घडा उपादानकारण और चाक, कीली, डंडा हाथ आदि कार्य उपादेय । क्या यह उपादान- उपादेय का ज्ञान ठीक है ? 1 उत्तर - बिल्कुल ठीक नही है । क्योकि यहाँ पर चाक, कीली, डडा, हाथ आदि आहारवर्गणा के स्कध त्रिकाली उपादान कारण और चाक कीली, इडा, हाथ आदि कार्य उपादेय है । 1 प्रश्न ६० - यदि कोई चतुर कुम्हार, घड़ा उपादानकारण और चाक, किली, डंडा, हाथ आदि कार्य उपादेय । ऐसा ही माने तो क्या दोष आता है ?
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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