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________________ ( १४६ ) प्रश्न ३ - क्या निमित्त नैमित्तिक संबंध परतंत्रता का सूचक है ? उत्तर - बिल्कुल नही, क्योकि निमित्त - नैमित्तिक सवध परस्पर स्वतन्त्रता का सूचक है । परतन्त्रता का सूचक नही है । परन्तु नैमित्तिक के साथ कौन निमित्त रूप पदार्थ है उसका वह ज्ञान कराता है । प्रश्न ४ - कार्य को निमित्त की अपेक्षा क्या कहते हैं ? उत्तर - नैमित्तिक कहते है । प्रश्न ५ – कार्य को उपादान की अपेक्षा क्या कहते हैं ? उत्तर - उपादेय कहते है । प्रश्न ६ - निमित्त नैमित्तिक का द्रव्य, क्षेत्र, काल भाव एक ही है या पृथक-पृथक है ? उत्तर - निमित्तनैमित्तिक का द्रव्य, क्षेत्र, काल भाव भिन्न-भिन्न है । -- प्रश्न ७ - क्या निमित्तनैमित्तिक सम्बन्ध एक द्रव्य मे उसको पर्याय के साथ होता है ? } उत्तर - बिल्कुल नही, निमित्त नैमित्तिक सबध दो पृथक्-पृथक् स्वतन्त्र पर्यायो के बीच मे होता है । एक द्रव्य मे उसकी पर्याय के साथ नही होता है । प्रश्न ८- -अनेक निमित्त कारणो मे कौन-कौन से भेद पडते हैं ? उत्तर - अनेक निमित्त कारणो मे जो मुख्य निमित्त हो उसे अन्तरग ( निमित्त ) कारण कहा जाता है । और गौण निमित्त हो उसे वहिरग निमित्त कारण कहा जाता है । प्रश्न -जीव ने विकार किया तो कर्मबध हुआ । इसने निमित्तनैमित्तिक बताओ ? उत्तर - कर्मवध हुआ नैमित्तिक और जीव का विकार निमित्त । प्रश्न १० - 'कर्मबध हुआ' इसमें कर्म को कितने प्रकार की दशा होती है ?
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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