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________________ ( ११२ ) उत्तर-वास्तव में उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण ही ज्ञान होने का सच्चा कारण है उसकी ओर देखना रहा । (दर्शन मोहनीय के क्षयोपशम से क्षयोपशम सम्यक्त्व हुआ-इस वाक्य में से (१) क्षयोपशमसम्यक्त्व (२) दर्शनमोहनीय के क्षयोपशम पर १८-१८ प्रश्न उपावान-उपादेय के लगाकर यहां से शुरू करो) प्रश्न १९०-क्षयोपशमिक सम्यक्त्व हुआ, उसका सच्चा कारण कौन है ? उत्तर-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादानकारण ही क्षयोपशमिक सम्यक्त्व का सच्चा कारण है। प्रश्न १६१-क्षयोपशमिक सम्यक्त्व का सच्चा कारण उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण ही है। ऐसा जानने से फिस-किस से दृष्टि हट गई तथा प्रत्येक पर कारणान विधायोनि कार्याणि को कव माना और कब नहीं माना। लगाकर समझाइये? उत्तर-(१) अत्यन्त भिन्न देव, गुरु, शास्त्र से, (२) दर्शन मोहनीय के क्षयोपशमादि से, (३) आत्मा से (४) ज्ञान-चारित्र आदि अनत गुणो से, (५) शुभभावो से, (६) श्रद्धागुण जो त्रिकाली उपादान कारण है उससे, (७) अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादान कारण औपशमिक सम्यक्त्व से, दृष्टि हट गई। प्रश्न १६२-क्षयोपशमिक सम्यक्त्व का द्रव्य, गुण और अभावरूप पर्याय का नाम बताओ? उत्तर-(१) आत्मा द्रव्य है, (२) श्रद्धा गुण है, (३) अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादानकारण औपशमिक सम्यक्त्व अभाव रूप पर्याय है। (केवलज्ञानावरणी के अभाव से केवलज्ञान हुआ-इस वाक्य मे से (१) फेवलज्ञान (२) केवलज्ञानावरणी के अभाव पर १८-१८ प्रश्न उपादान-उपादेय के लगाकर यहाँ से शुरू करो)
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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