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________________ उ० ( १२२ ) बदलती ग्रपनी योग्यता से है उसमें अन्तरंग निमित्त द्रव्यत्व गुण है । प्र० २२. दुःख का प्रभाव और सुख प्राप्त करने के लिये किसका मर्म जानना चाहिए ? द्रव्यत्व गुण का मर्म जानना चाहिये । उ० ४० २३. सम्यग्दर्शन प्राप्त करना है उसके लिये पर की सेवा करें सम्मेद शिखर जावें, माला जपें, कोई पाठ करें, या व्रत उपवासादि करें तो प्राप्ति हो ? उ० जैसे छोटा बच्चा है उसे 'अ आ इ ई' पढ़ाना है वह उसके लिये उपवास करे, दान करें यात्रा करे ग्राप कहेंगे इन कार्यों से 'अ ' पढ़ना नहीं होगा वह 'ग्र ग्रा' का हाथ से अभ्यास करे तो 'ग्र ग्रा' पढ़ना लिखना श्रावेगा; उसी प्रकार सम्यग्दर्शन प्राप्त करने के लिये पर की सेवा करें, सम्मेद शिखर जावें. माला जपें तो उससे सम्यग्दर्शन की प्राप्ति नहीं होगी । एक मात्र अपने ग्रनन्त गुणों के प्रभेद पिण्ड भगवान का आश्रय लें तो द्रव्यत्व गुण के कारण मिथ्यात्व का प्रभाव होकर सम्यग्दर्शन की प्राप्ति हो । - प्र० २४. एक गुण में कितनी पर्याय होती हैं ? उ० तीन काल के जितने समय उतनी २ पर्याय प्रत्येक गुण की होती हैं । प्र ० २५. हमारे जीवन में द्रव्यत्व गुण को समझने से भी कुछ लाभ है ?
SR No.010116
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages219
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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