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________________ उ.० प्र ० ६४. त्रिकाल कायम कौन रहता है ? प्रत्येक द्रव्य और उसके गुण । उ० प्र ० ६५. प्रत्येक द्रव्य गुण त्रिकाल कायम क्यों रहते हैं ? अस्तित्व गुण के कारण | उ० ( १०१ ) ऐसा कोई भी द्रव्य नहीं है जिसमें अस्तित्व गुरण न पाया जावे क्योकि अस्तित्व गुण प्रत्येक द्रव्य का सामान्य गुण है । प्र० ६६. इस लोक का भय परलोक का भय मिलने के लिए किस गुण का मर्म जानना चाहिए ? उ० अस्तित्व गुण का मर्म जानना चाहिये । प्र ० ६७. कोई द्रव्य पहले न हो और बाद में उत्पन्न हो जाये क्या ऐसा होता है ? उ उ० बिल्कुल नहीं क्योंकि प्रत्येक द्रव्य अस्तित्व गुण के कारण अनादि अनंत है । प्र० ६८. संसार में किसी भी द्रव्यं का कभी भी नाग नहीं होता है और कभी भी उत्पन्न नहीं होता इसकी सिद्धि कितने प्रकार से हो सकती है ? करोंड़ों प्रकार से हो सकती हैं प्रथमानुयोग के शास्त्रों में तो पृष्ठ पृष्ठ पर यह बात लिखी है । प्र० ६६. ग्रस्तित्व की सिद्धि करोड़ों प्रकार से हो सकती है तो कुछ अस्तित्व की सिद्धि सदैव है ? उदाहरण देकर समझायो । पार्श्वनाथ भगवान से ( ३ ) जो (५) सर्प से (६) राग निकल से (८) प्रथमानुयोग से ( ६ ) p 영 (१) भगवान महावीर मे (२) करता है वही भोगता है ( ४ ) व्यन्तरों में जाता है ज्ञान रहता है (७) वृद्धपना
SR No.010116
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages219
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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