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________________ ककसघस्त ककुभ ककराज कंडूर्गण कङ्कराज haar कच्छेयगत कञ्चरसस्सैंगोट्ट-गङ्ग कञ्चरिगुण्डु कचलदेवि कञ्चि कटकराज कटकाभरण ( जिनालय ) कणिष्क कण्ठिका कण्णेश्वर कदम्ब - दिसायर कदम्मा (म्बा ) कनक (कुल) 'कनकचन्द्र कनकनन्दि ઘટવ ५७ ९३ कनकसेन कनकसेन देव कनकसेनपण्डितदेव कनकसेन भट्टारक १४२ २१३ | करकगिरिय - तीर्थ १४२ कनकपुर १८२ | कनियसिका (कुल) ૧૪૪ कनिष्क २१३,२७७,२९९ ! कन्तियर - नाकय्य कन्दवर्ममालक्षेत्र कन्दुकाचार्य कनकनन्दित्रैविद्य कनकनन्दित्रैविद्य-देव १२४ १६० २६३ १४३ १४३ कनकनन्दिपण्डितदेवर कनकप्रभदेव कनकप्रभसिद्धान्त देव कहना कदम्ब (कुल) ९५,९७,९८,९९, १००, १०१, १०४, १०५, १०८, ११४ १२१ २४९ १०३ कन्न २४ कन्नकैर १४३ | कन्नडिगे १२४ कनपा २ कन्नमुझे कन्नर - देव कन्नरसान्तर कन्या कुब्ज कमलदेव कमळभद्र १४६ कम्प २९९ कम्मनाण्डु २७७ कर २९९ करण्डिग २५१ | करदूषण ૨૦૦ २३७ २३७ १३७,१३९ २१४ २१६ २१३ १३९ २१३ ७६ १९,२५ २१० १३७ २१३,२४८ १३०,२०५,२२७, २९९ २३७ १८६ २०४ २७७ १४० २१३ २१३,२१९ १२८ २१३ २७७ ૧૪૩ २१३ १०६ २१३ •
SR No.010111
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Shastracharya
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1952
Total Pages267
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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