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________________ ॥ आतनि विरिय - बासक-महीभुजा लोसमझनामसिदाहवमल्लदेवन मावनष्यण रेबरसन लाम् सावि लिम्मजिवि विनियकालदेविगं पुटिद गोविन्दरदेव ॥ क ॥ निरवद्य-चरितनन्वय धुरन्धरं सत्यवाक्य निबर-गण्डम् । परचक-बाळशं ग-1 ण्डरमूकुति गण्ड-दल्लळं नृपतिळकम् ॥ वृ ॥ वसुधालंकारनारोहकर मोमद कै बल्कणि ब्रह्मनुप्रा। रि-समूहोत्साह-शक्ति-प्रलय-कर-करामीळ-खळगा यशश्श्री प्रसर-प्रच्छन्न-दिङमण्डलनधिक बळं गङ्ग-नारायणं २- । कस-गलं गङ्ग-चूडामणि निऋप (नृप )-तिळकं वीर-मार्चण्डदेव ।। क ॥ तळियं दाटुव करियम् । घलिलेने पिडिदुगिये निज-शिरं पेचकमम् । कळिदुदु करि-सिरमुरमम् । पळिलेने तागिदुदु कदन-कण्ठीरवन ।। आतननुजं जगद्-वि-। ख्यातं कोमरङ्क-भीमनामुनि-देवम् । नीतिज्ञनधिक-तेजन-। राति बळ-प्रलय-काळनाहब-धीरम् ।। व ॥ अन्तातङ्गे कदम्ब-मयूरवर्मनात्मजे जाकल देविगं पञ्चल देवाम् पुट्टिद सान्तियम्बरसिंग गुडिप-दडिगो घट्ट गट्टि राज्य गेम्सिदनन्वयद बलवर्म-देवगं पुरिदम्पल देविगै सहमबाहु-प्रतापर्नु शि० १९
SR No.010111
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Shastracharya
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1952
Total Pages267
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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