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________________ १. राज्ञो गोपालीपुत्रस २. बहसतिमित्रस पोसाका लेख ३. मातुलेन गोपालीया ४. वैहिदरीपुत्रेन [ आसा ] ५. आसाढसेनेन नं ६. कारितं [ उदाकस ] दस ७. मे सवछरे कश्शपीयानं अरहं १३ ८. [ ता] न 1-f [11] अनुवाद -- गोपालीके पुत्र राजा बहसतिमित्र ( बृहस्पतिमित्र ) के मामा, तथा गोपाली वैहिदरी ( अर्थात् वैहिदर - राजकन्या ) के पुत्र आसाढसेनने कश्शपीय अरहंतोंके • दसवें वर्ष में एक गुफाका निर्माण कराया । [EI, II, p. 242.] पभोसा ( प्रभात ) - प्राकृत | [ द्वितीय या प्रथम शताब्दि ई. पू. ] १. अधियछात्रा राञ शोनकायनपुत्रस्य वंगपालस्य २. पुत्रस्य रात्रो तेणीपुत्रस्य भागवतस्य पुत्रेण ३. वैदिरीपुत्रेण आषाढ सेनेन कारितं [ ॥ ] अनुवाद - अधिछत्राके राजा शोनकायन ( शौनकायन ) के पुत्र -राजा वंगपालके पुत्र (और) तेवणी ( अर्थात् वर्ण - राजकन्या ) के पुत्र राजा भागवतके पुत्र ( तथा ) वैहिदरी ( अर्थात् वैहिदर - राजकन्या ) के पुत्र आषाढसेनने बनवाई | [ नोट- शुङ्गकालके अक्षरोंसे मिलने-जुलनेके कारण दोनों शिलालेखों का काल विश्वासके साथ द्वितीय या प्रथम शताब्दि ई० पूर्व निश्चित किया १ संभवतः 'गोपालिया' । २ सभी अक्षर संशयापन हैं ।
SR No.010111
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Shastracharya
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1952
Total Pages267
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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