SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ "१७३ १७२ ,, १६९ " १, १६७ ,, १६५ १६१ "2 99 १६० ⠀⠀⠀ ... ... ... : ... वैकुण्ठगुफाका लेख 600 ... ... 946 ... ... खारवेलका राज्याभिषेक भूषिक- नगरपर आक्रमण राष्ट्रिकों और भोजकोंका पराजय राजसूय-यज्ञ मगधपर प्रथम बार आक्रमण उत्तरापथ और मगधपर आक्रमण, पाण्डवराजसे अदेय ( नजराने ) की प्राप्ति शिलालेखकी तिथि ११ ३ वैकुण्ठ (स्वर्गपुरी ) गुफा उदयगिरि - प्राकृत | [ लगभग १६५ मौर्यकाल ] अरहन्तपसादनं कलिंग...य...नानं लोनकाडतं रजिनोलस... हेथिसहस्रं पनोतसयकलिंग वेलस अगमहि पिडकार्ड [ इस शिलालेखमें अर्हन्तोंकी कृपाको प्राप्त गुहानिर्माण ( Excavation ) बताया गया है। इस लेखका शेषभाग इतना टूटा हुआ है कि वह पढ़ने में नहीं आसकता । वैकुण्ठ गुफा, जिसके नामसे यह शिलालेख प्रसिद्ध है, राजा ललाकके द्वारा अर्हन्तों और कलिंगके श्रमणोंके लाभ या उपयोगके लिये बनाई गई थी। ] [JASB, VI, p. 1074] ४ मथुरा -- प्राकृत । [ बिना कालनिर्देशका ] लेकिन करीब १५० ई० पूर्वका [ बूल्हर ] १ पितकड in JASB, vol VI, p. 1074.
SR No.010111
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Shastracharya
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1952
Total Pages267
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy