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________________ साधुओ की आहारचर्या का समय ] [ ५७५ यहा सूर्योदय से ७ मुहूर्त बाद भिक्षा लेने को जाना लिखा है । ७ मुहूर्त के ५ || घण्टे होते हैं । अन यह समय भी लगभग मध्याह्न का ही पडता है । इत्यादि आगम प्रमाणो से जैनमुनियो का भिक्षा काल मध्याह्न समय का सिद्ध होता है । [शास्त्रकारो ने जो भिक्षा का समय मध्याह्न काल बताया है उससे मुनि को आहार उद्दिष्टादि दोपो से रहित प्राप्त होता है यह ज्ञातव्य है । ] इस पर जैन गजट के सम्पादक प अजित कुमार जी शास्त्री और ब्र० चाँदमल जी चूडीवाल के विचार जैनगजट के ता० ६-२३-३० मई सन् ६८ के अक मे प्रकाशित हुए है | उन्हे में समीचीन नही समझता । उनकी समीक्षा के साथ नीचे इस विषय पर और भी काफी प्रकाश डाला जाता है ताकि पाठक इस विषय को और भी स्पष्टतया हृदयगम कर सके - मूलाचार के बाद मुनियो के आचार को लेकर प आशाधर जी ने भी अनगारधर्मामृत नाम का एक बडा ग्रंथ स्वोपज्ञ संस्कृत टीका सहित रचा है। जिसमे मुनिधर्म का विस्तार से खुलासा किया है । इस ग्रन्थ मे भो मुनि के भिक्षाकाल के विषय मे लिखा है । उसे भी देखियेप्रवृत्येन दिनादो द्वे नाड्यौ यावद्यथाबलम् । नाडीद्वयोनमध्यान्ह यावत्स्वाध्यायमावहेत् ||३५|| [ अध्याय ६ ] (नोट श्रावक धर्म संग्रह पृ २२५-२२६ मे सोधियाजी ने इस ७ मुहूर्त को ७ घडी बना दिया है जो गलत है इससे आधा ही होगया है क्योकि १ मुहत मे २ घडी होती है) -
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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