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________________ श्री सीमंधर स्वामी का समय ] [ ५२६ तीर्थकर इस वक्त मौजूद है । सीमधर, युग्मधर बाहु और सुबाहु ये उनके नाम है। उनमे से सीमधर स्वामी की नगरी पूर्व विदेहस्थ पुष्कलावती देश की पु डरी किणी है । युग्मधर की नगरी पश्चिम विदेहस्थ व प्रदेश की 'विजया' है । बाहु भगवान् की नगरी पूर्वविदेहस्थ वत्म की 'सुसीमा' है और सुबाहु की नगरी पश्चमविदेहस्थ सरित् देश की 'वीतशोका' है। सीमधरादि बीस तीर्थंकरो का चरित्र ग्रन्थ तो हमारे देखने मे नही आया है । अलबत्ता बीस बिहरमान पूजापाटो मे उनके माता-पिता चिह्न आदिको के नाम जरूर पढे है । अब हमे यह देखना है कि ये बीस तीर्थकर जो इस समय विदेहो मे विद्यमान हैं। इनका प्रादुर्भाव कब हुआ है ? भरतक्षेत्र के किस २ तीर्थंकर के तीर्थकाल मे ये हुए हैं। शास्त्रो मे इस विषय मे सिर्फ एक सीमधर स्वामी के बारे मे कुछ जानकारी मिलती है । अन्य तीर्थंकरो के बाबत कथन हमारे देखने मे नही -- आया है। रविषेण कृत पद्मपुराण पर्व २३ श्लो०-७ आदि मे लिखा है कि-एकबार नारदजी राजा दशरथ से मिलने गये। दशरथ ने उनसे देशातरो का हाल पूछा। उस प्रसग मे उत्तर देते हुए नारदजी ने कहा कि "मैं पूर्व विदेह मे गया था, वहाँ पुडरीकिणी नगरी मे सीमधरस्वामी का दीक्षाकल्याणक का महोत्सव मैंने अपनी आँखो से देखा है । उनके उस उत्सव मे इन्द्रादि देव भी विमानो पर चढकर आये थे। मैंने वहाँ यह भी सुना कि इनके जन्म समय मे भी इन्द्रादिको ने आकर इनका जन्माभिषेक मेरु पर्वत
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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