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________________ ४० + परकाया प्रवेश, एक सत्य घटना उक्त शीर्षक का लेख, मथुरा से प्रकाशित होने वाली " अखण्ड ज्योति " पत्रिका के मई सन् १९७० के अक मे प्रकट हुआ है 1 वह यहाँ साभार उद्धत किया जाता है 'मन् १६३६ की घटना है । एक दिन पश्चिमी कमान के सैनिक कमाण्डेन्ट श्री एल० पी० फैरेल अपने सहायक अधिकारियो के साथ एक युद्ध सम्बन्धी योजना तैयार कर रहे थे । वहाँ उनका कैप लगा हुआ था । यह स्थान आसाम वर्मा की # सीमा पर था। वही पास मे एक नदी बहती थी । एकाएक वहाँ स्थित फैरेल आदि कुछ लोगो का ध्यान नदी की ओर चला गया। वे क्या देखते हैं कि- एक महा जीर्णशीर्ण शरीर का वृद्ध सन्यासी पानी मे घुसा एक शव को वाहर खीच रहा है । कमजोर शरीर होने से शव ढोने मे उसे अडचन हो रही थी । हांफता जाता था और खीचता भी । बडी कठनाई से शव किनारे आ पाया । C prash श्री फैरेल यद्यपि अँग्रेज थे पर अपनी बाल्यावस्था से ही आध्यात्मिक विषयो मे रुचि रखते थे । भारतवर्ष मे एक उच्च सैनिक अफसर नियुक्त होने के बाद तो उनके जीवन मे एक नया मोड आया । भारतीय तत्व दर्शन का उन्होने गहरा
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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