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________________ ४३६ ] [ ★ । जैन निबन्ध रत्नावली भाग २ गोम्मटेश्वर की प्रतिष्ठा का समय कल्कि स. ६०० लिखा है। प्रोफेसर प० हीरालालजी ने जैन शिलालेखसग्रह प्रथम भाग की प्रस्तावना मे कल्कि सं० ६०० को विक्रम स० १०८६ सिद्ध किया है । बाहुबलि मूर्ति की स्थापना चामुण्डराय ने की थी उस वक्त उनके गुरु नेमिचन्द्र जो मौजूद थे हो। इसके अलावा मुद्रित चारित्रसार खुले पत्र पृ० २२ मे चामुण्डराय ने अमित गति श्रावकाचार का "उपेत्याक्षाणि सर्वाणि · ..." श्लोक उद्धत. किया है वह श्लोक उसके १२वें परिच्छेद का ११६वा है। अमितिगति का अस्तित्व विक्रम की ११वीं शताब्दि के उत्तराद्ध तक है। उनके श्लोक उद्ध त करने से चामुण्डराय नेमिचन्द्र का समय राजा भोज के वक्त तक पहुंच जाता है। इतिहास में राजाभोज का राज्यकाल वि० स० १०७५ से १११० तक का माना है। ब्रह्मदेव ने राजा भोज के समय मे ही द्रव्यसग्रह का रचा जाना बताया है। इससे गोम्मटसार के कर्ता और द्रव्यसग्रह के कर्ता एक ही नेमिचन्द्र प्रतीत होते हैं। भिन्न २ नहीं। आप द्रव्यसग्रह के कर्ता नेमिचन्द्र का समय वि० स० ११२५ बताते है । परन्तु जब ब्रह्मदेव के कथनानुसार द्रव्यसग्रह राजाभोज के समय मे बना है और भोज का समय वि० स० १११० के बाद नहीं है तो आपका स० ११२५ का समय बताना सगत हो सकता है? साथ ही आपका द्रव्यसग्रहकार नेमिचन्द्र को वसुनन्दि श्रावकाचार के कर्ता का गुरु बताना भी ठीक नही है। क्योकि वि० सं० ११०० में होने वाले जिन नयनन्दी को आप वसुनन्दी के दादागुरु मानकर उनके आधार पर नेभिचन्द्र का समय वि० स० ११२५ कल्पना करते है वह आधार ही गलत है। गलत इसलिये है कि उक्त नयनन्दी अपने बनाये अपभ्र श
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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