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________________ राजा श्रेणिक या बिम्बसार का आयुष्य काल ] [ ११७ अब हम श्रेणिक की आयु के साथ जम्बूकुमार का संबंध वंताते है - और उत्तरपुराण की कथा मे लिखा है कि- गौतम केवली जब प्रथम बार विपुलाचल पर आये थे उस समय राजगृह का राजा कुणिक था। यानी राजा श्रेणिक उस समय नही थे वे मर चुके थे । अर्थात् वीर निर्वाण से ३ | | | वर्ष बाद जब श्रेणिक न रहे तब तक प्रथम बार गौतम केवली विपुलाचल आये थे । उस समय बाँधवो के अनुरोध से जम्बूस्वामी दीक्षा लेते २ रुक गये । पुन जब दुबारा गौतम केवली विपुलाचल पर आये तब उनके सान्निध्य मे सुधर्माचार्य के पास से जम्बूस्वामी ने दीक्षा ग्रहण की। इस दीक्षा को अगर हम अदाजन वीर निर्वाण सेयो कहिये गौतम के केवली होने से ६ वर्ष के बाद होना मान ले और दीक्षा के वक्त जम्बू कुमार की २० वर्ष की उम्र मानले तो कहना होगा कि वीरनिर्वाण के वक्त जम्बूकुमार १४ वर्ष के थे और जम्बू की १५ | | | वर्ष की उम्र के लगभग तक श्रेणिक जीवित रहे थे । इसलिये जम्बू का श्रेणिक की राज सभा में आना जाना व श्रेणिक द्वारा सन्मान पाना तो सगत हो सकता है । परन्तु कुछ जैन कथा ग्रन्थो मे लिखा है कि-' जम्बूकुमार की मदद से राजा श्रेणिक ने एक विद्याधर कन्या को विवाही थी" यह बात नही बन सकती है । क्योकि उस समय राजा राजा श्रेणिक उस वक्त अत्यत वृद्ध थे और कुणिक ने उन्हे वदी बनाकर रखा था अत राजा कुणिक को लिखा है इससे श्रेणिक की अविदय मानना सिद्ध नही होती वीरनिर्वाण से ३ ||| ( जब कि श्रेणिक जिन्दे थे ) गौतम विपुलाचल पर सभव है । वर्ष के अन्दर ही आये हो यह भी
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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