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________________ राजा श्रेणिक या बिम्बसार का आयुष्य काल ] [ १०५ मकान पर जा पहुचा। श्रेणिक की वाक्चातुरी, यौवन आदि गुणो पर मुग्ध होकर उस ब्राह्मण ने उसके साथ अपनी युवा पुत्री का विवाह कर दिया । श्रेणिक अब यही रहने लगा । यहीं पर श्रेणिक के उस ब्राह्मण कन्या से एक अभयकुमार नाम का पुत्र हुआ। एक दिन श्रेणिक के पिता कुणिक को अपना राज्य छोडने की इच्छा हुई । कुणिक ने ब्राह्मण के ग्राम से श्रेणिक को बुलाकर उसे अपना सब राज्य सम्भला दिया । अब श्रेणिक राज्य करने लगा । पीछे मे अभयकुमार और उसकी माता भी राजा श्रेणिक से आ मिले । ( श्लोक ४१५ से ४३० ) उत्तरापुराण पर्व ७५ मे लिखा है कि . - 1 सिंधुदेश की वैशाली नगरी के राजा चेटक के १० पुत्र और ७ पुत्रियाँ थी प्रियकारिणी, मृगावती, सुप्रभा, प्रभावती, चेलना, ज्येष्ठा, चन्दना ये उन पुत्रियो के नाम थे । ये सब - वय में उत्तरोत्तर छोटी छोटी थी । इनमे सबसे बडी पुत्री प्रियकारिणी थी जो गजा सिद्धार्थ को ब्याही गई थी जिससे भगवान् महावीर का जन्म हुआ था । और सबसे छोटी पुत्री चन्दना थी जो बालब्रह्मचारिणी ही रह कर महावीर स्वामी की सभा मे आयिकाओ में प्रधान गणिनी हुई थी । तथा गधार देश के महीपुर के राजा' सत्यकी ने उत्तर पुराण पर्व ५७ श्लोक में 'सत्यको' पद है जिससे नाम 'सत्यक' प्रकट होता है किन्तु इसी के आधार पर बने पुष्पवत्त कृत अपनश महापुराण में इसी स्थल पर (भाग ३ पृ० २४३ में ) ( सवई' पद है जिससे नाम सत्यकि' प्रकट होता है इसके सिवा उत्तर 1
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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