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________________ भी सुमतिनाव विमपूमा" और 'मी नेमिनार जिन पूजा 'सुप्रिया" नामक संशा में प्रयक्त है। माम-आम भारतीय फल है। यह मांगलिक अवसर पर प्रथक होता है। यहां यह उन्नीसवीं शती के कवि मनरंगलाल विरचित 'श्री पदमप्रम जिनपूजा श्री चन्द्रप्रमजिनपूजा, 'मी वासुपूज्यजिनपूजा और भी बर्ममायजिनपूजा" नामक रचनाओं में कामवल्लभाविरसाल, आम और मान संज्ञाओं के साथ व्यवहत है। इस शती के अन्य कधि बन्तापररत्न प्रणीत 'श्री ऋषभनाथजन पूजा और मल्लजी लिखित 'श्री क्षमावाणी प्रवा" में नाम और अंब संज्ञाओं के साथ यह उल्लिखित है। ___ बीसवीं शती के पूजा कबपिता मुन्नालाल", भगवानदास और हीराचन्द" द्वारा आम फल का प्रयोग अर्घ्य सामग्री के लिए हमा है। १. श्री सुमतिनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थयज्ञ, पृष्ठ ४० । २. फल शुकप्रिय नी आम्र निंबू न फीके । -श्री नेमिनाय जिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थयश, पृष्ठ १४६ । ३. पंडित शिखरचन्द्र जैन शास्त्री ने सत्यार्थयज्ञ ग्रंथ के पृष्ठ ४० पर 'श्री 'सुमतिनाथ जिनपूजा' कृति की टिप्पणी में शुकप्रिया को अमरूद कहा है यद्यपि बृहद हिन्दी कोश के पृष्ठ १३:२.६३ पर शुकप्रिया का वर्ष जंबू, जामुन उल्लिखित है। ४. कामवल्लभादि जे फलोध मिष्टता घने । -श्री पद्मप्रभजिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थयज्ञ, पृष्ठ ४८ । ५. श्री चन्द्रप्रभजिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थयज्ञ, पृष्ठ ६३ । ६. फल माम नारंगी केरा, बादाम छुआर घनेरा। -श्री वासुपूज्य जिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थ यज्ञ, पृष्ठ ८७ । ७. श्री धर्मनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थयज्ञ, पृष्ठ १०६ । १. पं. शिखरचन्द्र जैन शात्री ने सत्यार्थयश ग्रंथ के पृष्ठ ४८ पर 'श्री पदम प्रभजिनपूजा' कृति की टिप्पणी में कामवल्लभादि को माम कहा है। ९. एला सुकेला आन दाहिम केंथ चिरमट लीजिये। -श्री ऋषभनाथ जिनपूजा, बख्तावररल, चतुर्विगतिजिनपूजा, पृ० १० । १०. केला अंब अनार ही, नारिकेल ले दाख । -श्री क्षमावाणीपूजा, मल्लजी, जैन पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ २५७ । ११. श्री फल पिस्ता सु बादाम, आम नारंगि धरूं। -श्री बण्डगिरि क्षेत्रपूजा, मुन्नालाल, जनपूजा संग्रह, पृष्ठ १५६ । १२. श्री तत्वार्यसूत्रपूजा, भगवानदास, जन पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ४११ । श्री फल केमा बाम नरंगी, पक्के फल सब ताजा। -बी चतुरिति तीर्ष कर समुच्चय पूजा, हीराचन्द, नित्य नियम विशेष पूर्वर पर पृष्ठ ७३।
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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