SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 319
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३०६ ) धारण करने का विधान है। इस प्रकार वस्त्र विवेचन में मात्र ध्वजा और लंगोटी का उल्लेख हुना है। मत्स्यास्मक अभिव्यंजना के लिए आरसी, नूपुर, मुकुट तथा हार नामक आभूषणों का सफलतापूर्वक प्रयोग हुआ है। इसी प्रकार सौन्दर्य प्रसाधनों में वातावरण को सुगंधित करने के लिए अगर, धनसार, कुमकुम भालेपन के लिए केवड़ा, केशव, चंदन अध्यं सामग्री और ताप-शांत करने के लिए, वर्षण प्रतिविम्ब दर्शन के लिए प्रस्तुत काव्य में व्यवहृत हैं। कुम्भ, कटोरा, भारी, चमर, छत्र, थाल , धूपायन, प्याला, भामंडल, रकाबी, शिविका, सिंहासन आदि उपकरणों का पूजा-विधान सन्दर्भ में मावश्यक प्रयोग हुआ है । इस प्रकार विवेच्य काव्य में एक ओर जहां इन वस्तुओं का वर्णन हुआ है वहीं दूसरी ओर पूजा-विधान में इन सभी वस्तुओं को उपयोगिता भी प्रमाणित हुई है।
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy