SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 281
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २५ (२) कति नियपति को देखत। (बख्तावररत्न, श्री धर्मनाथ जिनपूणा) (३) रूप देखो गुनासोर। (बस्तावररत्न, श्री चन्द्रप्रभ जिमपूजा) (२० वीं शती) (१) दर्शन अनूप देखो जिनाय । (मुन्नालाल, भी पगिरि क्षेत्रपूजा) (२) कण-कण को जी भर-भर देखा। (युगल, श्री देवशास्त्र गुरुपूजा) (४) बनाना (१८ वीं शती) (१) मनवांछित बहु तुरत बनाय । (बानतराय, श्री पंचमेर पूजा) (१६ वीं शती) (१) समोसरन ठाठ सुन्दर बनायो। (बख्तावररत्न, श्री चन्द्रप्रभु जिनपूजा) (२) तिनके शुभ पुंज बनाऊ। __ (बखतावररत्न, भी पुष्पदंत जिनपूजा) (३) हे जी व्यंजन तुरंत बनायो। (बखतावररत्न श्री श्रेयांसनाथ जिनपूजा) (२० वीं शती) (१) निजगुन का अर्ष बनाऊंगा। (युगल, श्री देवशास्त्र गुरुपूजा) (२) निजभवन अनुपम बियो बनाय। (पूरणमल, श्री चांदन पांच महावीर स्वामी पूजा) (३) बनवाई गुफा उनने अनेक । (मुन्नालाल, भी पिरि सिहले पूजा)
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy