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________________ - वीर, और शांत रसों के परिपाक के लिए व्यवहृत है। जैन हिन्दी-पूणाकाव्य में मठारहवीं शती से इस छंद का व्यवहार परिलक्षित है। इस शती के सरात पूजाकाव्य के रचयिता बानतराय द्वारा प्रणीत 'श्री सरस्वती पूजा' में त्रिभंगी छंद प्रयुक्त है। उन्नीसवीं शती के उत्कृष्ट पूजाकार वदावन', मनरंगलाल', रामचन्द्र, बस्तावररत्न और कमलनयन ने भी त्रिभंगी छन्द का प्रयोग अपनी पूजाकाव्य कृतियों में किया है। बीसौं शती के युगल किशोर 'युगल', होर।चंद और नेम कषियों द्वारा भी पूजा काव्य में त्रिभंगी छंद व्यवहत है। १. श्री सरस्वती पूजा, द्यानतराय, संग्रहीतग्रन्य राजेश नित्य पूजा पाठ सग्रह. राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, सस्करण सन् १९७६, पृष्ठ ३०५। २. वर बावन चन्दन, कदलीनंदन, धन आनंदन, सहित घसो । भवताप निकन्दन, ऐरा नंदन, बंदि अमंदन, चरन बसो॥ - श्री शांतिनाथ जिनपूजा, वदावन, संगृहीतग्रंथ-राजेश नित्यपूजा पाठ संग्रह, प्रकाशक राजेन्द्र मेटिल वर्स, हरिनगर, अलीगढ़ संस्करण १६७६, पृष्ठ ११०। ३. श्री अनंतनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल, संगृहीतग्रथ-ज्ञानपीठ पूजाजलि, अयोध्याप्रसाद गोयलीय, मत्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस, संस्करण १६५७ ई०, पृष्ठ ३५१ । ४ श्री सम्मेदशिखर पूजा, रामचन्द्र, संगृहीतग्रंथ जैन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ १२५। ५. श्री कुथुनाथ जिनपूजा, बख्तावररत्न संगृहीत ग्रंथ-~-ज्ञानपीठ पूजांजलि, __ . अयोध्याप्रसाद गोयलोय, मंत्री, भारतीय ज्ञानपीट, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस, संस्करण १६५७, पृष्ठ ५४१ ।। ६. श्री पंचकल्याणक पूजापाठ, कमलनयन, हस्तलिखित । ७ थी देवशास्त्र गुरुपूजा, युगलकिशोर 'युगल', संगृहीतमय-जैनपूजा पाठ संग्रह, भागचन्द पाटनी, न० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ २७। श्री सिद्धचक्र पूजा, हीराचन्द, संगहीतमय-बहजिनवाणी संग्रह, सम्पा० व रचयिता स्व. पंडित पन्नालाल वाकलीवाल, मदनगंज, किशनगढ़, सितम्बर १६५६, पृष्ठ ३२८ । ९. श्री अकृत्रिम चैत्यालय पूजा, नेम, संग्रहीतमय-जन पूजापाठ संग्रह, प्रकाशक-मागचन्द्र पाटनी, न०६, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७,
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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