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________________ ( २०५ ) उन्नीसवीं शती के कविवर मनरंगलाल' और बक्तावररत्न' की पूजाओं में भी चान्द्रायण छंद के अभिवर्शन होते हैं। atnai शती के अन्य कविवर जिनेश्वर कृत 'श्री नेमिनाथ जिनपूजा' नामक पूजा में चान्द्रायण छन्द प्रयुक्त है ।" प्रेम-पूजा - काव्य में चान्द्रायण छंद मक्त्यात्मक अभिव्यक्ति के लिए व्यवहत है । अवतार अवतार छन्द मात्रिक समछन्द है । जन-हिन्दी-पूजा-काव्य में इस छंद के अभिदर्शन उम्मीस शती से होते हैं । कविवर वृंदावन मे अपनी पूजा १ श्री अनंतनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल संग्रहीतम-ज्ञानपीठ पूर्णाजलि, अयोध्या प्रसाद गोयलीक, मंत्री, भारतीय ज्ञानपीठ, कृष्ण रोड, बनारस, १२५७, पृष्ठ ३१ २ श्री कुंथुनाथ जिनपूजा, बख्तावररत्न, संग्रहीत ग्रंथ-ज्ञानपीठं पूतंजलि, अयोध्याप्रसाद गोयलीय, मंत्री, भारतीय ज्ञानपीठ, कुण्ड रोड, बनारस, १२५७ पृष्ठ १४१ । ३. वर्तमान विनय भरत के जानिये । पंचकल्याणक मानि' गये शिव थानिये ॥ जो नर मन वच काय प्रभु पूजे सही । सो नर दिव सुख पाव सह अष्टम मही । ४ श्री नेमिनाथ जिनपूजा, जिनेश्वरदास, संगृहीतग्रंथ जैन पूजा पाठ संग्रह प्रकाशक- भागचन्द्र पाटनी, नं० १२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ ११४ । छन्दः प्रभाकर, जगन्नाथ प्रसा स्वचायुपरि जयम ६०, पृष्ठ ६० १ माधर्मनि १६०
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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