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________________ ( १६ ) पानसराय ने उनीसवीं शती के कविवर रामचन्द्र और बसावररत्न' ने तथा बीसवीं शती के कविवर जवाहरलाल, आशाराम' हीराचन्द और १. प्रथम देव बरहंत सुश्रुत सिद्धांत जू। गुरु निरग्रंथ महंत मुकतिपुर पथ जू ॥ तोन रतन जग मांहि सो ये भविध्याइये। तिनकी भक्ति प्रसाद परमपद पाइये ।। -श्री देवशास्त्रगुरुकीपूजाभाषा, दयानतराय, संगृहीतग्रन्थ जैन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, नं० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता ७, पृष्ठ १६ । २. श्री सम्मेदशिखर पूना, रामचन्द्र, संग्रहीत य-जन पूजा पाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, नं० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ १२५ । ३. जो पूजे मनलाय भव्य पारस प्रभु नितही, ताके दुःख सब जाय भीत क्यापै नहि कितही। मुख सम्पति अधिकाय पुत्र मित्रादिक सारे, अनुक्रमसों शिव लहे, 'रतन' इमि कहे पुकारे ।। -~~-श्री पार्वनाथ जिन पूजा, बख्तावररत्न, संगहीतग्रंथ-ज्ञानपीठ पूजांजलि, प्रकाशक अयोध्याप्रसाद गोयलीय, मंत्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस, संस्क० १६५७ ई०, पृष्ठ ३७७ । ४. है उज्ज्वल वह क्षेत्र सुअति निरमल सही। परम पुनीत सुठौर महागुण की मही ।। सकल सिद्धि दातार महा रमणीक है। बंदो निज सुख हेत अचल पद देत है। -~~ श्री सम्मेद शिखर पूजा, जवाहरलाल, संग्रहीतग्रंथ-बहजिनवाणी संग्रह, सम्पा० व रचयिता-पन्नालाल वाकलीवाल, मदनगंज, किशनगढ़, सितम्बर १९५६, पृष्ठ ४६८ । ५. श्री सोनागिरि सिद्धक्षेत्र पूजा, आशाराम, संगृहीतग्रंथ-जन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, न० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ १५०। ६. श्री सिद्धचक्रपूजा, हीराचंद, संगृहीत ग्रंथ - वृहजिनवाणी संग्रह, सम्पा. व रचयिता पन्नालाल वाकलीवाल, मदनगंज, किशनगढ़, सितम्बर १६५६, पृष्ठ ३२८।
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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