SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 200
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १८० ) shina शती के पूजाकार 'बावन' और मल्लजी' ने लुप्तोपमालंकार तथा रामचन्द्र' और मनरंगलाल " ने पूर्णोपमालंकार का व्यवहार परम्परानुमोदित उपमानों के साथ सफलतापूर्वक किया है । बसों शती में श्री आदिनाथ जिनपूजा' और 'श्री देवशास्त्रगुरूपूजा' नामक पूजा कृतियों में लुप्तोपमालंकार तथा श्रीनेमिनाथ जिन १. शांतिनाथ जिनके पद पंकज, । जो भवि पूजे मन वच काय । - श्री शांतिनाथ जिन पूजा, वृन्दावन, संगृहीत ग्रंथ - राजेश नित्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वक्र्स, हरिनगर, अलीगढ़, १९७६, पृष्ठ ११७ । २. श्री जिन चरण सरोजकू । पूज हर्ष चितचाव । - श्री क्षमावाणी पूजा, मल्लजी, सगृहीतग्रंथ - ज्ञानपीठ पूजांजलि, अयोध्या प्रसाद गोयलीय, मन्त्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस १६५७, पृष्ठ ४०३ । ३. अक्षत अखडित मतिहि सुन्दर जोति शशि सम लीजिए । - श्री सम्मेद शिखर पूजा, रामचन्द, संगृहीत ग्रंथ --जैन पूजापाठ संग्रह भागचन्द पाटनी, नं० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता ७, पृष्ठ १२७ । ४. पय समान अति निर्मल, दीसत सोहनो । - श्री अनन्तनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल, संगृहीतग्रंथ - ज्ञानपीठ, पूजाजलि, अयोध्याप्रसाद गोयलीय, मन्त्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस, १९५७, पृष्ठ ३५१ । ५. तृणवत ऋद्धि सब छोड़िके, तप धारयो वन जाय । - श्री आदिनाथ जिनपूजा, सेवक, संगृहीत ग्रंथ जैन पूजा पाठ संग्रह भागचन्द्र पाटनी, नं० ६२, मलिनो सेठ पृष्ठ २७ । रोड, कलकला-७, ६. मृग सभ मृग तृष्णा के पीछे, मुझको न मिली सुख को रेखा । -श्री देवशास्त्रगुरु पूजा, युगल नित्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र पृष्ठ ५० किशोर 'युगल', संग्रहीत ग्रंथ -- राजेश मेटिल वमसं. हरिनगर, अलीगढ़ १९७६,.
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy