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________________ विषय शृङ्गारसमुद्रकाव्य शृङ्गारमञ्जरी शेरशाह (बादशाह) शौरिपुर श्रमण भगवान महावीर श्रवण द्वादशी कथा श्रवणबेलगोल श्रावकाचार सारोवार श्रीकुमार श्रीघोषर श्रीकृष्णदेव (तृतीय) श्रीकृष्ण (राजा) श्रीचन्द्र श्रीचन्द्र- टिप्पण श्रीदत्त श्रीदेव पं० ) श्रीदेवताकल्प ( १२५ ) पृष्ठ ४० ४० ३३ ३४ १०१ १५.१७ ६७, ८४, १५ १८,१६ ४५ १६ ६७ ६३ ५७, ८२, ८३, ८८ श्रीधन (मुनि - विद्याधर) श्रीधर (विबुध) श्रीनाथ (राजा) श्रीनन्दी (नयनन्दी गुरु) श्रीनन्दी (बलात्कारगणाचार्य) श्रीनन्दी चतुर्थ) श्रीनन्दी श्रीनन्दी गुरू श्रीनिवास (राजा) ६५,८२ ८२ ८५ श्रुतबोध ५६ श्रुतमुनि ८३ ५८ २६ श्रुतस्कंधकथा ५४ श्रुतस्कंध पूजा ५७ श्रेणिक चरित्र ५७ श्रेणिकरास ५८ श्वेताम्बर ५७ विषय पृष्ठ श्रीपाल १३ श्रीपाल श्राख्यान २४ श्रीपाल चरित (x) ११, १३, १४, १७, १८ श्रीपाल (त्रैविद्य) ५८ श्रीपालदेव ४ श्रीपालरास श्रीपाल (वर्णी) श्रीपुराण ४६ श्रीभूषण ( भट्टारक) ३०, ४१, ४२, ४८,४६,८८, १११ १०६ ५ ४७ ६४ श्रीमाल (कुल) श्रीरस्नी श्रीवत्स (गोत्र) श्रुतकीर्ति ( भट्टारक) १२,५२ ३० ४६,२० १०६ ६४, ६५ श्रुतसागर (ब्रह्म) ४३, १४, १५, १६, १७, ३४ ७२ २२ १७ २६-३० १२ ६७ श्वे० ज्ञानभंडार - जैसलमेर श्वेताम्बरयज्ञानभंडार षट्खण्डागम १०६ ६८, १०६ ७५,६०
SR No.010101
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1954
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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