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________________ ( ११७ ) विषय पृष्ठ विषय कल्याणकारक (वैद्यकग्रन्थ ) ५७ काव्यानुशासनवृत्ति कल्याणविजय १०१ काव्यालंकार-टीका कल्याणसिंह ___६ काश्यप (गोत्र ) कल्लोल ४१ काष्ठान्वय कल्हू १६ काष्ठासंध २१, २५, ३१, ३३ ४२, कविचन्द्रिका ( टीका वाग्भट्टालंकार) ४७. ४८, ५०, ५८, ६४, १११ ३. कान्हरसिंह कषायप्राभूत कीर्तिचन्द्र कषायपाहुड कीर्तिसागर ( ब्रह्म) कंजिकावतकथा २२ कुतुबखान ( क्यामखाँ) कुन्दकुन्द ( श्राचार्य) कारणूर (गण) कुन्दकुन्दाचार्य कानकुन्ज (ब्राह्मणकुल ) कुन्दकुन्दाचार्य ६, १३, ३०, ६७, ७३, ७६, ११२ कान्तहर्ष कुम्भनगर कामचण्डाली कल्प ६१, ६२ कुमारसेन कामताप्रसाद कुमुदचन्द्र कामदेव कुलचन्द्रदेव कार्तिकेयानुप्रेक्षाटीका कुलभूषण काटि (गोत्र) कुवलयचन्द्र कामराज ( ब्रह्म) कुशराज ( महामात्यवीरमदेव ) ५ कामीराय कृष्णदास ब्रह्म) २५, ३३ कायस्थ कृष्णावती (पत्नी चक्रसेन) ७६ कारंजा कालिदास ७२, १०३ केवलज्ञान कल्याणार्या काव्यानुशासन १८७ (समवसरण पाठ) १६,६७ २६
SR No.010101
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1954
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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