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________________ अचौर्य ] [ ८९ इनाम में जरा भी चोरी नहीं है और लाँच पूरी चोरी है । १ - - जनसाधारणको सम्पत्तिका न्यायानुसार उपयोग करना चोरी नहीं है । इसमें व्यक्तिको अनुमति नहीं माँगना पड़ती, जैसे गड़कर चलने के लिये, तालाब से पानी लेनेके लिये अनुमति नहीं लीजाती; फिरभी यह चोरी नहीं है । परन्तु यदि स्वच्छता के लिये यह नियम बनादिया गया हो कि अमुक घाट पर स्नान न किया जाय. अमुक बगीचे में अमुक समय से अधिक समय तक न बैठा जाय, तब इन नियमों का मंग करना भी चोरी है । अगर हमें इन नियमोंके बाहर काम करने की ज़रूरत हो तो अनुमति लेना चाहिये। हाँ, अगर हमें यह मालूम हो कि अमुक प्रतिबन्ध अधिकारियोंने पक्षपातवश अन्यायपूर्वक बनाया तो उसे हम तोड़ सकते हैं। परन्तु उसमें सत्याग्रह के नियमों का पालन होना चाहिये । १० - अनुमतिके बिना किसीकी चीज़ लेना ही चोरी नहीं है किन्तु उसीके पास रहने पर भी दूरसे उसका उपयोग कर लेनामी चोरी है। जैसे छुपकर कोई ऐसा खेल देख लेना जिसपर टिकिट हो या छुप कर गाना सुन लेना चोरी है समाचार पत्र बालेकी दूकानपर आकर समाचार पढ़ लेना और फिर पेपर न खरीदना चोरी है। हाँ, जितना हिस्सा उसने विज्ञापन के लिये पढ़ने को छोड़ रक्खा हो उतना पढ़नेमें हानि नहीं है, क्योंकि उतना पढ़नेके लिये उसने सभीको अनुमति देवी है, इसलिये हमें भी वह अनुमति प्राप्त है
SR No.010100
Book TitleJain Dharm Mimansa 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1942
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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