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________________ अनन्त का प्रत्यक्ष असम्भव [.२७ उत्तर--आवरण के हट जाने पर सबकी शक्ति बराबर प्रगट हो जायगी पर शक्ति बराबर रहने पर भी बाह्य पदार्थों का ज्ञान निमित्तभेद के अनुसार होगा। जैसे बराबर शक्ति के चार दर्पण हैं वे एक खंभे के चार तरफ लगाये गये। उनमें प्रतिबिम्ब चार तरह के आयेंगे । पूर्व दिशा की तरफ जो दर्पण लगा है उसमें जो प्रतिबिंब है वह पश्चिम दिशा की तरफ लगे हुए दर्पण में नहीं है । पर पश्चिम दिशा के दर्पण को पूर्वदिशा में लगा दो तो उसमें भी पर्य की तरह प्रतिबिम्ब पड़ेगा यही उनकी शक्ति की समानता है । समानता का यह मतलब नहीं है कि कोई दर्पण एक दिशा में लगा हुआ सब दिशाओं के दर्पणों के प्रतिबिम्ब बता सके। समान शक्ति के विषय में एक दूसरा उदाहरण भी लो । समझलो कि दस आदमी हैं जिनकी शरीर-सम्पत्ति पाचन-शक्ति बराबर है । हरएक आदमी एक दिन में एक सेर खाद्य पचा सकता है । किसी को एक सेर गेहूँ दिये गये किसी को एक सेर ज्वार, किसी को एक सेर चावल, किसी को एक सेर मिठाई मतलब यह कि भोजन की विविध सामग्री एक एक सेर परिनाण में रक्खी गई, इनमें से किसी को कोई भी हिस्सा दिया जायगा तो पचा जायगा, यह उनकी बराबरी है । बराबरी भोजन के प्रकार में नहीं, शक्ति में है । अब कोई यह कहे कि प्रत्येकको दसोंकी खुराक पचा जाना चाहिये तो यह नहीं हो सकता । इसी प्रकार जानने की शक्ति सब निराकरण ज्ञानियों में बराबर होने पर भी अनन्त जीवों का ज्ञान एक में नहीं आ सकता । हां, किसी भी एक निरावरणज्ञानी की शक्ति से दूसरे निरावरणज्ञानी की शक्ति बराबर होगी पर विषय जुदा
SR No.010099
Book TitleJain Dharm Mimansa 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1940
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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