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________________ जैनधर्म-मीमांसा सिंहासनपर जा बैठा है, उसका विचार करना पड़ेगा। तभी हम मैं० महावीरको और जैनधर्मको सच्चे रूपमें समझ सकेंगे। यहाँ मैं म० महावीरके जीवनका परिचय संक्षेपमें दूंगा और उसमें से अद्भुत रसको निकाल दूंगा। इसके अतिरिक्त अपनी बुद्धिके अनुसार इन भक्ति-कल्प्य घटनाओंमें वास्तविक सत्य कितना और कैसा है, इसपर भी विचार करूँगा । ___ म० महावीरके जीवन-चरितके विषयमें दिगम्बर और श्वेताम्बरसम्प्रदायोंकी मान्यतामें अन्तर है । यह कहनेकी आवश्यकता नहीं है कि जैनधर्मके मर्मको खोजनेवाला इनमेंसे किसी भी सम्प्रदायके साथ पक्षपातका व्यवहार नहीं कर सकता । इसलिये जो घटना जिस सम्प्रदायकी युक्तियुक्त और सम्भव मालूम होगी वही मान ली जायगी। जहाँ युक्तियुक्ततासे भी निर्णय न होगा वहाँ उसकी जाँच शिक्षाप्रदतासे की जायगी। यह नीति म० महावीरके जीवन-चरित लिखने में ही नहीं किन्तु जैनधर्मकी प्रत्येक विवादग्रस्त बातके निर्णयमें काममें ली जायगी। म० महावीरका जन्म सिद्धार्थ नरेशके गृहमें हुआ था । सिद्धार्थ नरेश कुण्डलपुरके शासक और गण-राज्यके नेता थे। उस समयके राजघरानोंसे इनका वैवाहिक सम्बन्ध था। ये म० पार्श्वनाथके अनुयायी थे । इनकी माता राजा चेटककी पुत्री थीं। ___ इसके बाद दिगम्बर और श्वेताम्बर परम्पराका महावीर जीवनके विषयमें मत-भेद हो जाता है। श्वेताम्बरोंके अनुसार म० महावीरके बड़े भाई नन्दिवर्धन थे और म० महावीर ८२ दिन एक ब्राह्मणीके गर्भ में रहे थे; जब कि दिगम्बर सम्प्रदाय इस
SR No.010098
Book TitleJain Dharm Mimansa 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1936
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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