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________________ विविध यहाँस श्रीरामचन्द्रके पुत्र लव और कुशको तथा अन्य बहुतसे मुनियोंको निर्वाण लाभ हुआ था। मागीतुगी यह क्षेत्र गजपन्या (नासिक) से लगभग अस्सी मील पर है। वहां पास ही पास दो पर्वतशिखर है जिनमेसे एकका नाम मागी और दूसरेका नाम तुगी है। मागी शिखरकी गुफाओंमे लगभग साढ तीन सौ प्रतिमाएँ और चरण है और तुगीमे लगभग तीस । यहाँ अनेक प्रतिमाएं साघुमोकी है जिनके साथ पीछी और कमंडलु भी है और पासमें ही उन साधुओंके नाम भी लिखे है। दोनों पर्वतोके बीचमें एक स्थान है जहाँ बलभद्रने श्रीकृष्णका दाह संस्कार किया था। यहाँसे श्रीरामचन्द्र, हनुमान, सुग्रीव वगैरहने निर्वाण लाभ किया था। गजपन्या-नासिकके निकट मसरूल गाँवकी एक छोटीसी' पहाडीपर यह सिद्धक्षेत्र है। यहाँसे बलभद्र और यदुवशी राजाओंने मोक्ष प्राप्त किया था। एलोरा-मनमाड जंकशनसे ६० मील एलोरा ग्राम है। यह ; ग्राम गुफा मन्दिरोंके लिये सर्वत्र प्रसिद्ध है। इससे सटा हुआ एक पहाड़ है। ऊपर दो गुफाएं है, नीचे उतरनेपर सात गुफाएँ और है जिनमें हजारो जन प्रतिमाएं है। कुथलगिरि-यह क्षेत्र दक्षिण हैदरावाद प्रान्तमें है और वार्सी टाऊन रेलवे स्टेशनसे लगभग २१ मील दूर एक छोटीसी पहाडीपर स्थित है। यहाँसे श्रीदेशभूषण कुलभूषण मुनि मुक्त हुए है। पर्वतपर मुनियोंके चरणमन्दिर सहित १० मन्दिर है। माघमासमे। पूर्णिमाको प्रतिवर्ष मेला भरता है। यहाँ गुरुकुल भी है। ____ करकण्डुकी गुफाएँ---शोलापुरसे मोटरके द्वारा कुन्थलगिरि जाते हुए मार्गमे उस्मानाबाद नामका नगर आता है, जिसका पुराना नाम धाराशिव है। धाराशिवसे कुछ मीलकी दूरीपर 'तर' नामका स्थान है। तेरके पास पहाडी है। उसकी वाजूमे गुफाएँ है। प्रधान गुफा बड़ी विशाल है। इसमें पांच फुटकी पार्श्वनाथ भगवानकी काले
SR No.010096
Book TitleJain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSampurnanand, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1955
Total Pages343
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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