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________________ विविध ३१७ हुआ था। पांचों पहाडोंके ऊपर जैन मन्दिर बने है। इन सभीकी वन्दना करनेमे १५-१६ मीलका चक्कर पड़ जाता है। कुण्डलपुर—यह राजगृहीसे १० मीलपर है। भगवान महावीरका जन्म स्थान मानकर पूजा जाता है ।। ___ मन्दारगिरि-भागलपुरसे ३० मीलपर यह एक छोटासा पहाड है। इसीको बारहवें तीर्थकर श्रीवासुपूज्य स्वामीका मोक्ष स्थान माना जाता है। किन्तु वर्तमानमे चम्पापुरको ही पाँचों कल्याणकोका स्थान माना जाता है। भागलपुरसे ४ मील नाथ नगर है और वहाँसे २ मीलपर चंपापुर है। ___ पटना--यह विहार प्रान्तकी राजधानी है। पटना सिटीमे गुलजारबाग स्टेशनके पासमे ही एक छोटी-सी टीकरीपर चरणपादुकाएं स्थापित है । यहाँसे सेठ सुदर्शनने मुक्तिलाभ किया था। इनकी जीवन कथा अत्यन्त रोचक और शिक्षाप्रद है। उत्तर प्रदेश बनारस-इस नगरके भदैनीघाट मुहालमे गंगाके किनारेपर' दो विशाल दि. जैन मन्दिर तथा एक श्वे. मन्दिर बने है जो सातवे तीर्थङ्कर भगवान सुपार्श्वनाथके जन्म स्थान रूपसे माने जाते है। यहाँपर जैनोंका अतिप्रसिद्ध स्याद्वाद महाविद्यालय स्थापित है जिसमे, संस्कृत और जैनधर्मकी ऊंचीसे ऊंची शिक्षा दी जाती है। भेलपुर, मुहल्लामें भी दोनों सम्प्रदायोके मन्दिर है। यह स्थान तेईसवें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथकी जन्मभूमि होनेसे पूजनीय है । इस प्रकार बनारस दो तीर्थङ्करोंका जन्म स्थान है । शहरमे अन्य भी कई जैन मन्दिर है। सिंहपुरी-बनारससे ६ मीलकी दूरीपर सारनाथ नामका प्राम है जो बौद्ध पुरातत्त्वकी दृष्टिसे अतिप्रसिद्ध है। यहीपर कसी समय सिंहपुरी नामकी नगरी बसी हुई थी, जिसमे ११वे तीर्थकर श्रीश्रेयांसनाथने जन्म लिया था। यहाँपर जैन मन्दिर और जैन धर्म
SR No.010096
Book TitleJain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSampurnanand, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1955
Total Pages343
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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