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________________ अहिंसाका स्वरूप सा" शब्द हननार्थक “हिंसी" धातुसे बना है। र इससे हिंसाका अर्थ "किसी प्राणीको मारना या सताना" होता है। प्राणीको प्राणसे रहित करनेके निमित्त अथवा प्राणीको किसी प्रकारका दुःख देनेके निमित्त जो प्रयत्न किया जाता है, उसे "हिंसा" कहते हैं। इसके विपरीत किसी जीवको दुःख या कष्ट नहीं पहुँचाना, इसको "अहिंसा" कहते हैं। पतञ्जलि-कृत योगशास्त्रके भाष्यकार अहिंसाका लक्षण • लिखते हुए कहते हैं: "सर्वथा सर्वदा सर्वभूतानामनर्थद्रोह अहिंसा" अर्थात् सब प्रकारसे, सब समयमें, सब प्राणियोंके साथ मत्री भावसे व्यवहार करना-उनसे प्रेम भाव रखना, इसीको "अहिंसा" कहते हैं। कृष्ण भगवान्ने भी गीतामें कहा है:"कर्मणा मनसा वाचा, सर्वभूतेषु सर्वदा । अक्लेशजननं प्रोक्ता, अहिंसा परमर्षिभिः ॥"
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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