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________________ * जेल में मेरा जैनाभ्यास : [तृतीय अढ़ाई द्वीप 'भरत',एक ऐरावत' और दो 'महाविदेह' हैं। पमें दो भरत, दो ऐरावत और दो महा परत, दो ऐरावत और दो महाविदेह हैं। की कर्मभूमियाँ हैं। रु', एक 'उत्तरकुरु', एक 'हरिवास', हमवास' और एक 'एरण्यवास' है। द्वीपमें दो देवकुरु, दो उत्तरकुरु, दो हरि[स. दो हेमवास और दो एरण्यवास हैं। दो देवकुरु, दो उत्तरकुरु, दो हरिवास दो पौर दो एरण्यवास हैं। ... अकर्मभूमि हैं। जम्बू दीप 'सुदर्शनमेरु पर्वत' है। वह मल्ल स्थम्भके । ऊँचाई एक लाख योजनकी है । पृथ्वीमें पर निन्यानवे हजार योजन है। इसकी .ई (Diauct Care) है । यह क्रमसे ' एक हजार योजन चौड़ा रह गया है। दशाल वन, नन्दन वन, सोमनस नीचे भद्रशाल वन है। उससे पाँच
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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