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________________ ग्बगड * मनुष्य-जीवनकी सफलता * ___जो गृहस्थ अपने विशेष पुरुपार्थ व पराक्रम द्वारा अपने मनुप्य-जीवनको सफल बनाना चाहते हैं, उनको निम्नलिखित बारह व्रत ग्रहण करने चाहिये। गृहस्थधर्म ग्रहण करनेसे पहले ननुष्यको मम्यक्त्वी होना चाहिये । सम्यक्त्रीका लक्षण पहले कहा जा चुका है। मम्यक्त्वक पाँच अतीचार भी हैं, जो निम्न प्रकार हैं: (१) शङ्का-देव, गुरु. और धममें शङ्का रखना अर्थात् यह नत्य है या श्रमत्य है श्रादि सोचना । (.) काउन्ना-दारे, हर और सूर्य प्रभृति देवताओंका अभाव देखकर उनसे तथा जिनधर्मसे भी मुखादिक प्राप्त करने की इच्छा रग्बना या भोग और नुम्ब प्रान करने के लिये शंग्वेश्वरादि देवताओंकी मान्यता करना । (३) विचिकित्मा-धमविपयक फलके सम्बन्धमें सन्देह करना या देव, गम और गुरुकी निन्दा करना। (४) अन्यदृष्टिप्रशंमा-मियादृष्टियों के नियादशन, मियाज्ञान और मियाचरित्रकी प्रशंसा करना। (५) अन्यदृष्टिमंस्तव-मियादृष्टियोंके मियादर्शन, मियाजान और मि याचरित्रको मनमें अच्छा-आत्महितकारक समझना। *"शका नाविचिकिमान्यष्टिप्रशंपासंस्नवाः सम्यहप्टेरतीचाराः"। -उमास्वानि
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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