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________________ * जेल में मेरा जैनाभ्यास - [तृतीय मनुष्य कुपढ़ रह गया या पासमें पैसा न हुश्रा तो भी वह मनुष्य अपने जीवनको सफल नहीं बना सकता । इस कारण विद्या और लक्ष्मीका होना भी परम आवश्यक है । __ यदि उपरोक्त सारी बातें भी मिल गई और कदाचित सत्संग और उत्तमधर्मका सहवास नहीं मिला तो भी मनुष्य-जन्मका सफल होना असम्भव है। क्योंकि सत्संग और उत्तमधर्म के बिना एक मनुष्य कुपथमें आसानीस पड़ सकता है और अपने अमूल्य मनुष्य-जन्मको धूल में मिला सकता है। यदि उत्तम धर्म और मत्संग भी मिल गया तो भी मनुष्य जन्म पाने का मन्तव्य सिद्ध नहीं हो सकना । कयोकि यदि मारी बातें मिल गई और हम उत्तमधमका काय में नहीं ला सके अर्थात् अपने चरित्रको शुद्ध नहीं बना सके तो उपरोक्त मार्ग बातोंका समागम होना निरर्थक है। इस कारमा उपरोक्त कारा. कलापकं माध श्रद्धा और पराक्रमका होना भी उतना ही आवश्यक है। अब मेरे बन्धु भली भांति समझ गये होंगे कि उपरोक समन्त श्रावश्यक बातों सहित मनुष्य जन्मका मिलना कितना दुष्कर व दुर्लभ है। अब एक दृम दृष्टम भी मनुष्य जन्म की दुष्प्राप्यतापर ध्यान दीजिये
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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