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________________ बण्ड * मुमुक्षुओंकेलिये उपयोगी उपदेश * २३६ ___जो पहले मीठा लगे और फिर कड़वा और जो पाते हँसावे और जाते रुलाये । यह संसारका सुख है।" -एक गुजराती कवि । 'अचेत आदमी केलिये मंसार खेल-तमाशेकी जगह है, परन्तु मचेन आदमी के लिये संसार युद्धस्थल है. जहाँ जीवनपर्यन्त मन और इन्द्रियों में मनुष्यको जूझना पड़ता है।" -सहजी। 'मनुष्यको देह भवमागर पार हानेकी नाव है. क्षमा उसके बनेका डंडा है, सन्य उसके स्थिर रखने के लिय लंगड़ है, मुकर्म अगम धारामें बीच नेकी रम्सी है और दान और उपकार पातमें भरकर आगे ढकलनेवाली हवा है।" -महाभारत । दया बगवर कोई धर्म नहीं. नमाके वरावर कोई शरता नहीं प्रान्मज्ञानके बराबर के ई जान नहीं और सत्यके समान कोई गुराग नहीं।" __-महाभारत । दान पछतावा. सन्ताप संयम. दीनता. सचाई और दया, य सात बातें बैकुण्ठ के द्वार हैं।" -महाभारत ।
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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