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________________ * जेल में मेरा जनाभ्यास * [द्वितीय धन-वस्तुको दबानेसे, किसीके माल व धनको जलमें डुबाने व अग्निमें जलानेसे; इत्यादि। ३-मनुष्य किन कर्मों के कारण रोगी होता है ? उत्तर-रोगियोंको सन्ताप पहुँचानेसे, रोगियोंकी निन्दा व हँसी करनेसे, औषधि-दानका अन्तराय करनेसे, रोग तथा तकलोक बढ़ाने का प्रयत्न करनेसे, साधुओं व मुनियोंके वस्त्रको मलीन देखकर घृणा करनेसे; इत्यादि । __४-मनुष्य किन कर्मों के कारण पराधीन होता है ? उत्तर-जीवोंको बन्दीखाने में डालनेसे, बहुत मेहनत कराकर थोड़ी मजदूरी देनेसे, कर्जदारोंको धोखा देकर उनसे धन वसूल करनेसे और उनकी बेइज्जती करनेसे, नौकरोंको या घरके श्रादमियों को आहारमें अन्तराय देनेसे, जबरदस्ती काम व मेहनत लेने से, पशु-पक्षियोंको बाड़े में या पिंजरेमें रखनेसे, दूसरोंको पराधीन देखकर खुशी होनेसे, दूसरोंकी स्वाधीनता नष्ट करने श्रादिसे । ५-मनुष्य निर्बल किन कर्मों के कारण होता है ? उत्तर-दीन-गरीबोंको सतानेसे, अन्न वस्त्रका अन्तराय डालनेसे, निर्बलोंको दबानेसे, अपने बलका अभिमान करने आदिसे। कर्मोंका सिद्धान्त बड़ा सरल व सीधा है कि जैसा कर्म आप करेंगे, उसीके अनुसार श्रापको फलकी प्राप्ति होगी।
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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