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________________ [१८] रखना आवश्यक है। इस ट्रैक्ट में हमने श्वेताम्बर सम्प्रदायके शास्त्राधार से किसी भी विषय पर विचार कुछ नहीं किया है और न उस की आवश्यकता ही समझी है। किन्तु प्रो० सा० ने जिन दिगम्बर शास्त्रों से स्त्री-मुक्ति आदि का विधान समझा हुआ है, उन्हीं पर विचार किया है और दिगम्बर शास्त्रों से ही उन मान्यताओं का प्रतिवाद किया है। श्वेताम्बर मान्यतायें कुछ भी हों, हमें उनसे कोई प्रयोजन नहीं हैं। ऊपर तो उस सम्प्रदाय की कतिपय विचित्र मान्यताओं का उल्लेखमात्र किया गया है वह इसी बात के सिद्ध करने के लिये किया गया है कि दोनों में सैद्धान्तिक दृष्टि से एकीकरण सर्वथा असम्भव है, जिसे कि प्रो० साप करना चाहते हैं। बम्बई पञ्चायत को जागरूकता धर्मपरायण दि० जैन पंचायत बम्बई तथा उसके सुयोग्य अध्यक्ष श्रीमान रा० ब० सेठ जुहारुमल मूलचन्द जी महोदय ने प्रो० सा० के मन्तव्यों के साथ पत्र भेजकर इस ट्रैक्ट के लिखने के लिये हमें प्रेरित किया है। साथ में प्रतिष्ठित एवं प्रौद्ध विद्वान् श्रीमान् पं० रामप्रसादजी शास्त्री तथा श्री० सेठ निरंजनलाल जी ने भी अपने २ पत्रों द्वारा प्रेरित किया है। हम इस प्रकार की धार्मिक चिन्ता और लगन के लिये उन सबों को हार्दिक धन्यवाद देते हैं। क्योंकि यदि वे हमें प्रेरित नहीं करते तो सम्भव है अनेक अन्य कार्यों के
SR No.010088
Book TitleDigambar Jain Siddhant Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages167
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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