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________________ [ १६ ] हैं और वे बहुत ही विचित्र हैं जैसे भगवान महावीर स्वामी पहले देवानन्दा ब्राह्मणी के गर्भ में आये थे । इन्द्र ने उन्हें उसके गर्भ से निकलवा कर त्रिशला रानी के गर्भ में रक्खा । और त्रिशलारानी के गर्भ में जो पुत्री थी उसे देवानन्दा के पेट में रखवा दिया। यह Tita areas a aलने का कार्य गर्भ धारण के ८२ दिन पीछे किया गया । कल्पसूत्र में इसका उल्लेख है । - पाठक विचार करें कि क्या यह सम्भव हो सकता है कि इस प्रकार गर्भस्थ बालक बदल दिये जावें ? यह बात तो कार्य-कारण-पद्धति, कर्म व्यवस्था एवं वस्तु - व्यवस्था से सर्वथा विपरीत श्रतएव श्रसम्भव है । इसी प्रकार भगवान ऋषभदेव की माता मरुदेवी जब हाथी पर चढ़ कर भरत चक्रवर्ती के साथ भगवान ऋषभदेव के समवशरण में जा रही थीं तब दूर से समवशरण की विभूति को देखकर वैराग्य भावों की जागृति से हाथी पर चढ़े हुए ही उन्हें केवलज्ञान हो गया और श्रायुक्षय होने से हाथी पर चढ़े हुए ही उन्हें मोक्ष हो गई। यह कथा कल्पसूत्र की है । इस प्रकार का केवलज्ञान और मोक्ष तो बहुत ही सम्ता सौदा है जो बिना किसी तपश्चरण और त्याग के हाथी पर चढ़े चढ़े ही हो जाता है। तीसरी विचित्र बात यह है कि भगवान महावीर स्वामी को छह महीना तक पेचिस का
SR No.010088
Book TitleDigambar Jain Siddhant Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages167
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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