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________________ [ " ] मुलतान का श्राया जो कि उन्होंने मुलतान की विकट गर्मी में बड़े परिश्रम से लिखा है और स्व-पर आगम और युक्तियों से निबद्ध है । तदनन्तर दूसरा ट्र ेक्ट श्रीमान पं० मक्खनलाल जी शास्त्री मुरेना का श्राया । फिर श्रीमान पूज्य न्यायाचार्य पं० गणेशप्रसाद जी वर्णी के तत्वावधान में सागर के प्रमुख विद्वानों द्वारा लिखा हुआ ट्रेक्ट मिला। इसके पीछे अन्य लिखित ट्रेक्ट आते रहे । I प्राप्त लेखों में मुरेना विद्यालय के प्रधानाध्यापक, प्रसिद्ध विद्वान श्रीमान पं० मक्खनलाल जी शास्त्री न्यायालंकार का प्रस्तुत ट्रेक्ट सबसे अधिक बड़ा और आगम प्रमाण तथा युक्तियों से पूर्ण है । धार्मिक सेवा के इस पुनीत कार्य के लिये उन्हें बहुत धन्यवाद है। ट्रेक्टके अनुरूप उसे प्रथम रक्खा है 1 पुस्तक का कलेवर बहुत बढ़ जाने से इससे आगे का बड़े आकार में प्रकाशित हो रहा है जिसमें विभिन्न पूज्य त्यागी महानुभावों के तथा विद्वानों के लिखित सुन्दर, पठनीय भिन्न भिन्न प्रकार की युक्तियों तथा स्व-पर शास्त्रीय प्रमाणों से युक्त लेख प्रकाशित हो रहे हैं। पाठक महानुभाव उसकी प्रतीक्षा करें | यह ट्रेक्ट समप्र ग्रंथ का आय अंश है । इस प्रन्थ- सम्पादन में सबसे अधिक सहायता मुझे श्रीमान भाई निरंजनलाल जी खुर्जा वालों ने दी है। इस अखिल कार्य-संचालन में आपका अथक परिश्रम बहुत प्रशंसनीय है। ट्रेक्ट प्रकाशन को समस्त सामग्री जुटाने में
SR No.010088
Book TitleDigambar Jain Siddhant Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages167
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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