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________________ आभार प्रदर्शन. REuron आजे अमे विद्वानोना करकमलमां, छेल्लामां छेल्ली ढबे तैयार करेल बृहत्तपागच्छनायक श्रीदेवेन्द्रसूरिकृत खोपज्ञटीकायुक्त नव्यकर्मग्रन्थचतुष्टयनी आवृत्ति अर्पण करवा भाग्यशाळी थईए छीए ए माटे पूज्यपाद श्रीमान् १०८ श्रीचतुरविजयजी महाराजनो अत्यन्त आभार मानीए छीए. तेम ज पूज्य श्रीचतुरविजयजी महाराजना विद्वान् शिष्य श्रीमान् पुण्यविजयजी महाराजे प्रस्तुत ग्रन्थने सुधारवामाटे तेम ज सम्पादनने लगता कार्यमा जे किम्मती हिस्सो आप्यो छे तेमाटे तेओश्रीनो पण आ ठेकाणे अमे अन्तःकरणथी आभार मानीए छीए. __प्रस्तुत आवृत्तिनुं सम्पादन तेओश्रीए जे प्रकारनी योग्यताथी कयु छे तेने विद्वानो स्वयं समजी शके तेम छ, तथापि अमे तेनो टुंकमां परिचय आपवो उचित समजीए छीए-आ आवृत्तिना सम्पादन अने संशोधनमां पूज्य श्रीचतुरविजयजी महाराजे प्राचीन ताडपत्रीय तेम ज कागळनी हस्तलिखित अनेक प्रतोनो उपयोग कर्यो छे. तेम ज टीकाकारे प्रमाण तरीके उद्धृत करेल पाठोनां स्थळोनो उल्लेख पण तेओश्रीए ते ते स्थळे कयों छे. अने ग्रन्थना अन्तमा अनेक विषयनां परिशिष्टो आपीने तो तेओश्रीए प्रस्तुत आवृत्तिनी महत्तामा अनेक गणो उमेरो ज को छे. कर्मग्रन्थनी प्रस्तुत आवृत्तिना प्रकाशन माटे उपयोगी द्रव्यनी मदद पूज्य श्रीचतुरविजयजी महाराजना सदुपदेशथी अमने जे धर्मात्मा बहेनो तरफथी मळी छे ते सौनो हार्दिक आभार मानवा साथे तेमनां पवित्र नामोनो उल्लेख अमे आनीचे करी दईए छीएरू० १२५ पाटणनिवासी झवेरी मोहनलाल मोतीचन्दनी सुपुत्री बहेन केसरबहेन तरफथी. रू० १२५ पाटणनिवासी झवेरी हेमचन्द मोहनलालनी सुपत्नी बहेन हीराबहेन तरफथी. रू० १०० पाटणनिवासी झवेरी भोगीलाल मोहनलालनी सुपत्नी बहेन मणीबहेन तरफथी. रू० १०० पालनपुरनिवासी परीख मणीलाल सूरजमलनी सुपत्नी बहेन ताराबहेन तरफी. रू० १०० पाटणनिवासी शा. भीखाभाई त्रिभुवनदासनी विधवा बाई मणीना टूम्टीओ तरफी हस्ते शा० भीखाचंद साकरचंद सोनी. रू० ५० पालनपुरनिवासी परीख. डाह्याभाई सूरजमलनी सुपनी बहेन जासुदबहेन तरफथी. रू० ५० अमदावादनिवासी झवेरी मणीलाल मोहनलालनी सुपत्नी बहेन गुलाबबहेन. रू० ५० पाटणनिवासी झवेरी भोगीलाल लहेरचन्दनी सुपत्नी बहेन चम्पाबहेन तरफथी. उपर अमे जेमनां पवित्र नामोनो उल्लेख को छे ते सौनो धन्यवादपूर्वक पुनः एक वार आभार मानीए छीए. निवेदकवल्लभदास त्रिभुवनदास गांधी. सेक्रेटरी श्रीजैन आत्मानंद सभा, भावनगर,
SR No.010087
Book TitleChatvara Karmgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChaturvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1934
Total Pages289
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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