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________________ होने के कारण महाराजा चेटक ने अपनी तीसरी राजकुमारी सुप्रभा का विवाह इनके साथ किया था' । कच्छ अर्थात् पश्चिमी काठियावाड़ का राजा उदयन' था । इस की राजधानी रोरूकनगर थी । राजा चेटक की चौथी पुत्री प्रभावती इनके साथ व्याही थी। महाराजा उदयन भी जैनी था' । गाँधार अर्थात् कन्धार का राजा सात्यक था। यह भी जैनधर्मानुयायी था। महाराजा चेटक की पांचवीं राजकन्या ज्येष्ठा की सगाई इनके साथ हुई थी, परन्तु विवाह न हो सका, क्योंकि सात्यक राजपाट का त्याग कर जैन साधु हो गया था । दक्षिणी केरल का राजा उस समय मृगाङ्क था और हंसद्वीप का राजा रत्नचूल था । कालेंग देश (उड़ीसा) का राजा धर्मघोष था। ये तीनों सम्राट जैनधर्मी थे । धर्मघोष पर तो जैनधर्म का इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि राजपाट त्याग कर वह जैन मुनि हो गया था । अङ्गदेश अर्थात् भागलपुर का राजा अजातशत्रु तथा पश्चिमी भारत सिन्ध का राजा मिलिन्द व मध्य भारत का राजा दृढ़मित्र था जो जैनसम्राट श्री जीवन्धर का ससुर था । इस प्रकार हम देखते हैं कि भगवान् महावीर के अनुशासन के प्रभाव से उस समय जैन धर्म अतिशय उन्नत रूप में था । १-२ फुटनोट नं० ३ पृष्ठ ११४ । ३. 'महाराजा उद्दयन पर वीर प्रभाव' खण्ड २ । ४८. वीर, देहली, १७-४-४८, पृ० ८ । [ ११५
SR No.010083
Book TitleBhagwan Mahavir Prati Shraddhanjaliya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Mitramandal Dharmpur
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1955
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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